उत्तर प्रदेश के निजी स्कूलों के पास करोड़ों रुपए का सरप्लस फंड की सरकार करें जांच ।

निजी स्कूलो के सरप्लस फंड से सरकारी स्कूलो का हो कायाकल्प – सीमा त्यागी
हमारे देश मे शिक्षा को हमेशा से समाज सेवा माना जाता रहा है लेकिन अगर हम वर्तमान परिवेश में बात करे तो शिक्षा अब व्यापार बन गई है शिक्षा का बढ़ता व्यापारिकरण निजी स्कूलो के लिए मोटी आमदनी का जरिया बन गया है आमदनी भी ऐसी की बड़े बड़े स्कूलों के पास 100 – 100 करोड़ का सरप्लस फंड मौजूद है एक ही स्कूल से देश के अनेकों राज्यों में अनेकों ब्रांच खोल दी गई है जिसके कारण देश के अभिभावक प्राइवेट स्कूल के लिए एटीएम कार्ड बन गए है शिक्षा को समाज सेवा का माध्यम मानने वाले इन्हीं निजी स्कूलो द्वारा अभिभावकों से कॉपी , किताब , स्टेशनरी यूनिफॉर्म मेंटीनेंस चार्ज ऐसी चार्ज वार्षिक शुल्क और मोटी फीस के नाम पर अंधाधुंध उगाही की जा रही है क्योंकि इन निजी स्कूलों में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से पूंजीपतियों , उद्योगपतियों एवं नीति निर्धारकों का पैसा लगा है इसलिए सरकार भी शिक्षा के बढ़ते व्यापार पर अंकुश लगाने को लेकर चुप्पी साधे रहती है कुछ राज्यों में फीस अधिनियम बनाया गया लेकिन निजी स्कूलों की सत्ता में हनक के कारण फीस अधिनियम भी केवल फाइलों तक ही समिति हो कर रह गया और अभिभावकों के लिए राहत का माध्यम नहीं बन सका । अभिभावक निजी स्कूलों के आगे लूटने के लिए मजबूर हैं और असमंजस में है कि आखिर जाए तो जाए कहा। मेरा मानना है कि अगर राज्य सरकार निजी स्कूलों की पिछले 5 सालों की बैलेंस शीट की पारदर्शी तरीके से जांच कराए तो जांच में इन स्कूलों के पास करोड़ों रुपए का सरप्लस फंड पाया जाएगा और सरकार अगर इच्छा शक्ति दिखाए तो निजी स्कूलों की जांच में पाए गए करोड़ों रुपए के सरप्लस फंड से जहा सरकारी स्कूलों का कायाकल्प किया जा सकता है वहीं प्राइवेट स्कूलों की लुट को भी काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है में उम्मीद करती हूँ कि सरकार निजी स्कूलों की लुट को नियंत्रित कर देश के प्रत्येक बच्चे के सस्ती और सुलभ शिक्षा के सपने को साकार करने की तरफ सकारात्मक कदम उठाएगी ।
- सौजन्य से
सीमा त्यागी ( राष्ट्रीय अध्यक्ष)
इंडियन पेरेंट्स एसोसिएशन