UPSC, CDS, और SSC की परीक्षा देकर प्रयागराज से लौटे युवक पर हुए हमले में , जिला उपायुक्त पुलिस से गुहार लगाने पर हुई F I R .
सेवा में,श्री
अजय कुमार मिश्रा
पुलिस उच्चायुक्त
गाजियाबाद
विषय: न्याय और सुरक्षा के लिए तत्काल अपील
माननीय महोदय,
मैं, हर्ष मिश्रा, पुत्र श्री अशुतोष मिश्रा, 23 वर्षीय रक्षा सेवा (डिफेंस) अभ्यर्थी हूं और वर्तमान में अपने परिवार के साथ गाजियाबाद में किराए के मकान में रहता हूं। हाल ही में, मैं यूपीएससी सीडीएस की एसएसबी परीक्षा देकर प्रयागराज से लौटा हूं।
दिनांक 22 फरवरी 2025, समय लगभग शाम 6:00 – 6:20 बजे, मैं राम पार्क में पढ़ाई के बाद कुछ समय विश्राम के लिए गया था। उसी समय, सुरेंद्र बंसल, जो जनकपुरी, साहिबाबाद के वर्तमान पार्षद रामनिवास बंसल का भाई है, अत्यधिक नशे की हालत में पार्क में मौजूद बच्चों को परेशान करने लगा। उसने जबरन क्रिकेट खेल रहे बच्चों से उनका बल्ला छीन लिया और उन्हें मारने की कोशिश की। बच्चे डर के मारे वहां से भाग गए।
इसके बाद, वह मेरे पास आया, जब मैं अपने दोस्त के साथ पार्क की एक बेंच पर बैठा था। बिना किसी कारण के, उसने मुझसे गाली-गलौज शुरू कर दी और मुझसे सवाल करने लगा कि मैंने बच्चों को खेलने से रोका क्यों नहीं। जब मैंने उसे शांत स्वर में समझाया कि यह एक सार्वजनिक पार्क है और मेरा किसी को रोकने का कोई अधिकार नहीं है, तो वह और अधिक आक्रामक हो गया। उसने मुझसे मेरी व्यक्तिगत जानकारी जबरन मांगी और मुझे तथा मेरे परिवार को अगले दिन सुबह 9 बजे जान से मारने की धमकी दी। इसके साथ ही, उसने जातिसूचक टिप्पणी करते हुए कहा, “हम गुर्जर हैं, यह हमारा इलाका है, हम तुम सबको मार देंगे।”
स्थिति को बिगड़ते देख, मैंने उससे दूरी बनाने की कोशिश की, लेकिन वह गाली-गलौज करता रहा। जब मैंने उसे अपनी मां और बहन के लिए गाली देने से मना किया और वहां से जाने लगा, तभी उसने अचानक क्रिकेट बैट से मेरे सिर और बाएं कान पर जोरदार वार किया, जिससे मैं वहीं गिर पड़ा। मुझे कुछ क्षणों के लिए होश नहीं रहा, और जब मुझे कुछ चेतना आई, तो मैंने देखा कि वह फिर से बल्ला उठाकर मुझे मारने वाला था। इसी दौरान, मैंने यह भी देखा कि उसकी कमर में एक पिस्तौल लगी हुई थी, जिससे मेरी जान का खतरा और भी बढ़ गया।
डर और दर्द की स्थिति में, मैंने अपने घायल कान को पकड़ लिया और भागते हुए अपने परिवार को तथा पुलिस को फोन किया। सुरेंद्र बंसल मेरे पीछे पार्क के गेट तक दौड़ा और मुझे मारने की कोशिश की, लेकिन मैं किसी तरह बचकर अपने घर पहुंच गया।
घर पहुंचने के बाद, मैंने पूरी घटना अपनी मां को बताई और फिर हम पुलिस स्टेशन गए। मैंने पुलिस से मुझे अस्पताल ले जाने का अनुरोध किया, लेकिन पुलिस ने मना कर दिया। मेरी मां मुझे एक पास के क्लिनिक में ले गईं, जहां डॉक्टर ने मेरा प्राथमिक उपचार किया और बताया कि मेरा बायां कान गंभीर रूप से कट गया है और उसमें 16 टांके लगाने पड़े।
प्राथमिक उपचार के बाद, मैं साहिबाबाद पुलिस स्टेशन एफआईआर दर्ज कराने गया। पहले तो पुलिस ने मेरी शिकायत दर्ज करने से इंकार कर दिया, लेकिन बार-बार आग्रह करने पर उन्होंने केस दर्ज किया। हालांकि, पुलिस ने मामले की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए कमजोर धाराओं में केस दर्ज किया और कहा कि चूंकि मेरा प्राथमिक उपचार पहले ही हो चुका है, इसलिए मेडिकल जांच संभव नहीं है। बार-बार अनुरोध करने के बाद, उन्होंने मुझे एमएमजी अस्पताल, गाजियाबाद भेजा।
एमएमजी अस्पताल में, हालात और बिगड़ गए जब डॉक्टरों ने मुझ पर झूठा आरोप लगाया कि मैं नशे में था। जब मैंने दूसरी जांच की मांग की, तब उन्होंने बाद में स्वीकार किया कि मैं नशे में नहीं था। वहां डॉक्टरों ने मुझे उचित उपचार नहीं दिया, बल्कि कुछ अन्य लड़कों ने इलाज किया, जो डॉक्टर नहीं थे। पुलिस और अस्पताल कर्मियों का यह व्यवहार दर्शाता है कि पार्षद रामनिवास बंसल अपने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग कर मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।
इस घटना के बाद से, मुझे और मेरे परिवार को रामनिवास बंसल और उसके परिवार से बार-बार धमकी भरे फोन आ रहे हैं और हम पर मामले को निपटाने का दबाव बनाया जा रहा है। मेरे परिवार का पीछा किया जा रहा है और हमें लगातार डराया-धमकाया जा रहा है। मेरी और मेरे परिवार की जान को गंभीर खतरा है, इसलिए हम आपसे तुरंत सुरक्षा प्रदान करने की अपील करते हैं।
इस नृशंस हमले ने न केवल मुझे शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाया है, बल्कि मेरी मानसिक शांति और करियर पर भी बुरा प्रभाव डाला है। मैं एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार का सबसे बड़ा बेटा हूं और अपने सपने को साकार करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा था, लेकिन इस अप्रत्याशित हिंसा और अन्याय ने मेरे जीवन को गहरे संकट में डाल दिया है।
मैं आपसे न्याय की गुहार लगाता हूं और अनुरोध करता हूं कि इस मामले में सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी नागरिक इस प्रकार की हिंसा और अन्याय का शिकार न हो। मुझे विश्वास है कि आपकी जिम्मेदारी और नेतृत्व में मुझे और मेरे परिवार को न्याय मिलेगा तथा आवश्यक सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
सादर,
हर्ष मिश्रा