October 21, 2025

मीर सिंह: सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों के सशक्त प्रहरी

मीर सिंह: सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों के सशक्त प्रहरी

भारतीय समाज में समय-समय पर ऐसे व्यक्तित्व सामने आते हैं, जो न केवल अपने पद की गरिमा को बनाए रखते हैं बल्कि समाज के वंचित और उपेक्षित वर्गों के लिए न्याय की लड़ाई भी पूरी ताक़त से लड़ते हैं। मीर सिंह इन्हीं में से एक नाम है, जिन्होंने अपने अथक प्रयासों से दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की आवाज़ संसद तक पहुँचाई है।

समाज और प्रशासनिक जगत में सक्रिय भूमिका

मीर सिंह की पहचान एक ऐसे कर्मयोगी के रूप में है, जो हर समय समाज के लिए तत्पर रहते हैं। अखिल भारतीय जाति जनजाति संगठन के अंतर्गत काम करते हुए उन्होंने सैकड़ों आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के साथ मिलकर सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों को संसद तक पहुँचाया। बैंक और रेलवे के कर्मचारियों की पदोन्नति से जुड़ी समस्याओं को उन्होंने बार-बार राष्ट्रीय स्तर पर उठाया और पीड़ित कर्मचारियों की आवाज़ को बुलंद किया।

संसद से जुड़ा सक्रिय योगदान

मीर सिंह कई बार संसद की महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल हुए और वहाँ से सामाजिक मुद्दों को मजबूती से रखा। उनकी पहल से कई वंचित परिवारों को न्याय मिला। यही कारण था कि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले के यहां मीर सिंह पुर्व OSD (Officer on Special Duty) के रूप में भी नियुक्त रह चुके हैं।

मुख्य लीगल सलाहकार के रूप में भूमिका

वर्ष 2020 में रामदास अठावले के मंत्री पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उनका विश्वास मीर सिंह पर कायम रहा और उन्होंने उन्हें अपने कार्यालय में चीफ़ लीगल एडवाइज़र नियुक्त किया। इस पद पर रहते हुए मीर सिंह ने कई महत्वपूर्ण मामलों को उठाया और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी।

उनके नेतृत्व में सहारनपुर केस, कासगंज केस, जोधपुर मटका कांड जैसे संवेदनशील मामलों पर कार्रवाई हुई। हाल ही में मथुरा में सीवर में बच्चों की दर्दनाक मृत्यु के मामले को भी मीर सिंह ने व्यक्तिगत रूप से संज्ञान में लिया और पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी।

संवैधानिक अधिकारों के रक्षक

मीर सिंह की सोच हमेशा यही रही है कि कोई भी जाति या जनजाति अन्याय का शिकार न बने और उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित न रहना पड़े। दिल्ली में हाल ही में झोपड़ियों को तोड़े जाने की कार्यवाही पर भी उन्होंने सक्रिय हस्तक्षेप किया। सुप्रीम कोर्ट के 2024 के “राइट टू शेल्टर” आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने हाई कोर्ट से स्टे ऑर्डर दिलवाया और सैकड़ों परिवारों को बेघर होने से बचाया।

हर संघर्ष में अग्रणी

कानूनी सलाहकार और एक समाजसेवी होने के बावजूद मीर सिंह मानते हैं कि उनका पहला कर्तव्य समाज सेवा है। उनका विश्वास है कि किसी भी पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना सिर्फ़ एक पेशेवर जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक कर्तव्य भी है। उनकी इस सोच और कार्यशैली ने उन्हें न केवल एक मज़बूत कानूनी सलाहकार बनाया है बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणास्रोत के रूप में स्थापित किया है।

नई जिम्मेदारी – यूनाइटेड प्रेस क्लब ऑर्गेनाइजेशन

आज मीर सिंह को यूनाइटेड प्रेस क्लब ऑर्गेनाइजेशन, इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र रंगवे द्वारा संगठन के कानूनी सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति उनके अनुभव, निष्ठा और समर्पण को देखते हुए की गई है। संगठन का विश्वास है कि मीर सिंह की उपस्थिति से संगठन की कार्यप्रणाली और मज़बूत होगी तथा पत्रकारिता और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में नयी दिशा मिलेगी।

साथ ही संगठन के उपाध्यक्ष रोहित कुमार भी लगातार सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और संगठन की कार्यक्षमता को और सशक्त बनाने में योगदान दे रहे हैं। रोहित कुमार का दृष्टिकोण है कि मीडिया और समाज के बीच की खाई को पाटा जाए और पत्रकारिता के माध्यम से जनता की असली आवाज़ को सामने लाया जाए।

निष्कर्ष

मीर सिंह का जीवन और उनकी कार्यशैली इस बात का प्रमाण है कि सच्ची निष्ठा और समर्पण के साथ किया गया कार्य हमेशा समाज को नई दिशा देता है। वे सिर्फ़ एक कानूनी सलाहकार या पदाधिकारी नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय के प्रहरी हैं, जो हर समय वंचितों और उत्पीड़ितों की आवाज़ बनकर खड़े रहते हैं।

यूनाइटेड प्रेस क्लब ऑर्गेनाइजेशन से जुड़ने के बाद न केवल संगठन को मज़बूती मिलेगी बल्कि समाज के हर वर्ग तक न्याय और समानता की आवाज़ पहुँचेगी। मीर सिंह और रोहित कुमार जैसे व्यक्तित्व निस्संदेह आने वाले समय में देश और समाज के लिए नई उम्मीद और नई रोशनी लेकर आएँगे।

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