वेश्यालय से बदत्तर, बदबूदार न्यायव्यवस्था

न्यायालय को दागदार व बदबूदार बनाने वाले भृष्ट अधिकारी व कर्मचारियों की घर वापसी कब?
डा0वी0के0सिंह।
(वरिष्ठ पत्रकार)
दादरी, गौतमबुद्ध नगर। जनपद गौतमबुद्ध नगर स्थित, तहसील दादरी में संवैधानिक पदों पर आसीन प्रशासनिक अधिकारी नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एव कुछ पूर्व एव कुछ वर्तमान उपजिलाधिकारियों द्वारा, तहसील प्राँगढ़ में स्थित न्यायालयों में, न्याय की देवी को निर्वस्त्र कर, एक प्रकार से सामूहिक दुष्कर्म करने का मामला प्रकाश में आया है, ऐसे में क्या आम आदमी ऐसी सड़ी गली न्यायव्यस्था पर भरोसा कर सकता है? और भरोसा करे भी तो किस पर? प्रशासनिक एव न्यायिक शक्तियों का उपयोग करने वाले अधिकारी भू-माफियाओं के पुनीत चरणों मे शाष्टांग दण्डवत प्रणाम करने के उपरान्त ही अपने दिन का शुभारम्भ करते हैं।
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी एव प्राप्त साक्ष्यों से ज्ञात है कि, उपरोक्त आरोपों के सन्दर्भ में, स-साक्ष्य कई कई ग्रन्थ लिखे जा सकते हैं किन्तु, आज की कहानी में, तहसील दादरी स्थित नायब तहसीलदार के न्यायालय से निस्तारित कुछ वाद अंतर्गत धारा 34 उ0प्र0रा0सहिंता 2006 पर दृष्टिपात करते हुये पढ़े, परखें फिर बतायें कि, “ये रिश्ता क्या कहलाता है?
वाद संख्या टी- 202311270230574 विशाल चौहान बनाम विनोद , ग्राम वैदपुरा गाटा संख्या 264, योजित दिनांक 26 अक्टूबर 2023 एव निस्तारित दिनाँक 01 नवंबर 2023 एक सप्ताह के अन्दर जबकि, उपरोक्त वाद निर्धारण की वैधानिक अवधि कम से कम 30 है, खैर छोड़िये, नायब तहसीलदार ने 30 दिन में पकने वाली फसल को एक सप्ताह में पका ही नहीं दिया बल्कि, पता नहीं कौन सा इंजेक्शन लगाया कि, सड़ा ही दिया। जरा पाठकगण अपनी नाक बन्द कर, खुली आँखों से सड़ान पर दृष्टिपात करते हुये बतायें, ये रिश्ता क्या कहलाता है? उपरोक्त वाद राजस्व ग्राम वैदपुरा से सम्बंधित है, जिसका निस्तारण व दाखिल खारिज राजस्व ग्राम गढ़ी चौखण्डी के गाटा संख्या 115 में किया गया? अब पाठक, शासन व प्रशासन में विद्धमान विद्वान तथा न्यायपालिका के विद्वान विधिवेत्ता तय करें कि, इस प्यार को क्या नाम दूँ? अर्थात वैदपुरा का गाटा संख्या 264, गढ़ी चौखण्डी के गाटा संख्या 115 के बीच की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है फिर, राजस्व न्यायालय नायब तहसीलदार ने बड़ी सफाई से ऐसे जोड़ दिये, जैसे कोई दो गांवों के खेतों की सगाई कर दी हो।
इतना ही उ0प्र0रा0सहिंता 2006 की धारा 34 के अन्य लगभग 1 दर्जन मामले राजस्व न्यायालय नायब तहसीलदार ने एक ही गलती की बार बार पुनरावृत्ति की है, क्या इसे गलती कहा जा सकता है? या फिर भू माफियाओं से मोटी रकम लेकर, सिर्फ भू माफियाओं के इशारे पर, मुगालिया सल्तनत के शहजादे सलीम के सामने सलीम की अनारकली बनाकर कानून को नचाया है। क्या सही है, विद्वान पाठक स्वयं तय करे।
एक अन्य वाद संख्या टी- 202011270207081 ग्राम हैबतपुर, विवेक दहिया बनाम देवदत्त शर्मा व अन्य में, राजस्व ग्राम हैबतपुर खसरा संख्या 329, तत्कालीन एसडीएम दादरी ने, माफ़िया प्रेम के वशीभूत, भू- माफिया को दौरान ए वाद, शासनादेश डब्लू 650/ एक – अनुभाग / 2015 व सरकार को ताख पर रखकर खसरा संख्या 329 की बजाय खसरा संख्या 330 पर जबरन कब्जा दे दिया जबकि, तत्कालीन एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता को अच्छी तरह से पता था कि, विवेक दहिया का उपरोक्त वाद अंतर्गत धारा 24 उ0प्र0रा0सहिंता 2006 विधि विरुद्ध, गैर पोषणीय है, तथा, माफिया प्रेम के वशीभूत स्वयं विवेक दहिया ने संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग करते, भू- माफिया के साथ आपराधिक षडयंत्र के तहत, पत्रांक 1479/ रीडर – एसडीएम/ 26/11/2020 राजस्व परिषद की सम्पूर्ण बेंच को पत्राचार करते हुये, बिना कब्जे वाली भूमि पर अंतर्गत धारा 24 उ0प्र0रा0सहिंता 2006 चलाकर, कब्जा दिलाने की विधिक राय लेने की आड़ में, गरीब किसान की भूमि खसरा संख्या 330 पर कब्जा करवा दिया।
तत्कालीन तहसीलदार विवेकानंद मिश्र जो तत्कालीन एसडीएम के अधीनस्थ थे, पदोन्नति के बाद उपजिलाधिकारी (न्याययिक) का पदभार इसी तहसील दादरी में संभालकर, तत्कालीन एसडीएम आलोक कुमार गुप्ता के द्वारा, न्यायपालिका के मुँह पर पोती गुनाहों की कालिख पर, अपने स्व ज्ञान और विवेक से सफेदी पोतने का कार्य कर रहे हैं।
बहराल, तहसील दादरी नयायालय नायब तहसीलदार के न्यायालय में निस्तारित अंतर्गत धारा 34 उ0प्र0रा0सहिंता 2006 के 313 ऐसे मामले हैं, जिनमें धूम मानिकपुर की जमीन का दाखिल खारिज सादुल्लापुर, वैदपुरा का दाखिल खारिज गढ़ी चौखण्डी हुआ है। ऐसा भी नहीं है, तहसील प्रशासन ने ये सब काम केवल माफिया प्रेम के वशीभूत किया है, इतने बड़े अरबों रुपये की जमीन घोटाले में तहसीलदार, एसडीएम एव राजस्व निरीक्षकों की अहम भूमिका रही है, और करोड़ों कमाये है।
अन्त में, एक यक्ष प्रश्न क्या सरकार ऐसे भृष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कारवाही करते हुये, घर वापसी अभियान चलायेगी या फिर, प्रदेश के ईमानदार मुख्यमंत्री अपने कुछ भृष्ट मंत्रियों के द्वारा, पार्टी फण्ड हेतु, अपना हिस्सा लेकर शान्त बैठ रहेगी?
बहराल, वर्तमान परिस्थितियों में तहसील दादरी की हालत किसी बदबूदार सस्ते कोठे से ज्यादा नहीं है, ऐसा प्रतीत होता है, मानो किसी वेश्यालय के बाहर लगा आश्रम का बोर्ड।
